Saturday, June 28, 2025
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रहीम के दोहे-Rahiman Dhaga Prem Ka | Rahim Ke Dohe in Hindi | रहिमन धागा प्रेम का

इस पोस्ट में रहीम के दोहे याने की Rahiman Dhaga Prem Ka और बाकि सभी दोहे भी अर्थ के साथ दिए गए गए. आशा हैं आप सभी को पसंद आएंगे।

रहीम के दोहे-Rahiman Dhaga Prem Ka | Rahim Ke Dohe in Hindi | रहिमन धागा प्रेम का

रहीम के दोहे

रहिमन धागा प्रेम का , मत तोरो चटकाय |
टूटे पे फिर ना जुरे , जुरे गाँठ परी जाय ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि क्षणिक आवेश में आकर प्रेम रुपी नाजुक धागे को कभी नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि एक बार अगर धागा टूट जाये तो पहले तो जुड़ता नहीं और अगर जुड़ भी जाए तो उसमे गांठ पड़ जाती है।

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि |
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि बड़े के सामने छोटे को कभी कमतर नहीं समझना चाहिए। क्योंकि जो काम सुई कर सकती है वह काम तलवार से कभी नहीं हो सकता।

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय |
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि अपने मन की पीड़ा को मन में ही दबा कर रखना चाहिए। क्योंकि आपके दुःख को कोई बाँट नहीं पायेगा, उल्टे अन्य लोग उसका गलत फायदा भी उठा सकते हैं।

रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय |
हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य के जीवन में थोड़े दिनों के लिए विपरीत परिस्थिति का आना भी जरूरी है। क्योंकि विपदा में ही अपने और पराये का ज्ञान होता है।

ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों |
तातो जारै अंग सीरै पै कारौ लगै ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि दुष्ट मनुष्यों का कोयले के समान त्याग कर देना चाहिए। क्योंकि कोयला गरम रहने पर हाथ जलाता है और ठंडा होनेपर हाथ काला कर देता है।

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून |
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून ||

अर्थ – रहीम जी ने इस दोहे में मनुष्यों के लिए पानी का प्रयोग शर्म (लज्जा) के भाव से किया है। बिना पानी के मोती, मनुष्य और चूना, तीनों नष्ट हो जाते हैं।

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार |
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि अगर आपके प्रियजन सौ बार भी रूठें तो प्रयास करके उन्हें मना लें। क्योंकि मोतियों की माला बार बार टूटने पर भी उसे फ़ेंक नहीं देते बल्कि फिर से पिड़ो लेते हैं।

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग |
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि सत्पुरुषों पर बुरी संगती का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जिस प्रकार चन्दन के वृक्षों से जहरीले साँपों के लिपटे रहने पर भी चन्दन पर उनके विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय |
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि एक लक्ष्य को साधने से ही सब सध जाते हैं, अनेक लक्ष्यों को साधने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता। जिस प्रकार वृक्ष के जड़ को सींचने से ही फल फूल आदि सभी प्राप्त हो जाते हैं।

रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत |
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि नीच प्रकृति के लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती है और न ही दुश्मनी। जिस प्रकार कुत्ते का चाटना और काटना दोनों ही ख़राब माना जाता है।

रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर |
जब नीके दिन आइहें, बनत न लगिहैं देर ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि जब बुरा समय आये तो मनुष्य को धैर्य धारण करके रहना चाहिए। क्योंकि अच्छा समय आने पर फिर से काम बनते देर नहीं लगता।

पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन |
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन ||

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि जिस प्रकार वर्षा ऋतू आने पर कोयल चुप हो जाती है और चारों तरफ मेंढक की ही आवाज सुनाई पड़ती है। उसी प्रकार जीवन में कुछ ऐसे अवसर आते हैं जब गुणवान व्यक्ति को चुप रहना पड़ता है और गुणहीन बड़बोले व्यक्तियों का बोलबाला रहता है।

हमें उम्मीद है कि रहीम के दोहे-Rahiman Dhaga Prem Ka | Rahim Ke Dohe in Hindi | रहिमन धागा प्रेम का समझ गए होंगे। यदि आपके पास Website के बारे में कोई समस्या है, तो कृपया हमसे संपर्क करें। और ऐसे ही भक्तिपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.sampurnabhakti.com को जरूर follow करे। शुक्रिया

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