Bajrang Baan Lyrics (बजरंग बाण) भगवान हनुमान जी की स्तुति करने के लिए एक पवित्र मंत्र है। कहा जाता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। किसी भी तरह की परेशानी हो या डर, बजरंगबली का बजरंग बाण हर समस्या का अचूक समाधान साबित होगा।
कहा जाता है बजरंग बाण का पाठ हमें विशेष आवश्यकता की स्थिति में ही करना चाहिए जैसे कि जब आप किसी गंभीर संकट में फंस जाते हैं, सभी परिस्थितियाँ आपके विरुद्ध होती हैं, उनसे निकलने का कोई रास्ता नहीं होता है, तो मंगलवार को बजरंग बाण का पाठ करें । शनिवार का दिन बेहद मददगार साबित होता है। ध्यान रखें कि यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे आपको किसी भी समय पढ़ना चाहिए।
जब आप किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए Bajraan baan lyrics हिंदी में पढ़ते हैं और यदि वह कार्य सफल हो जाता है, तो संकल्प लें कि आप हनुमान की सेवा के लिए नियमित रूप से कुछ न कुछ अवश्य करेंगे।
बजरंग बाण के बोल हरिहरन ने गाए हैं और संगीत ललित सेन और चंदर ने दिया है। गीत “श्री हनुमान चालीसा (हनुमान अष्टक)” एल्बम से है और ट्रैक “टी-सीरीज़” संगीत लेबल के तहत जारी किया गया है।
Table of Contents
Bajrang Baan Lyrics | Hanuman Baan Lyrics | बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
हनुमान चालीसा हिंदी में | hanuman chalisa lyrics in hindi
बजरंग बाण पाठ के लाभ Bajrang Baan Benefits
- कहते हैं हर रोज बजरंग बाण का पाठ करने से चाहे कितनी भी बड़ी समस्या का समाधान हो जाए.
- कहा जाता है मंगलवार और शनिवार को बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह से संबंधित परेशानियां आती हैं.
- कहा जाता है अगर शनि, राहु और केतु की महादशा चल रही हो तो मंगलवार और शनिवार को 3 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए.
- कहा जाता है बजरंग बाण का पाठ करने से नौकरी में सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं.
- कहा जाता है मंगलवार और शनिवार को बजरंग बाण का पाठ करने से भय दूर होता है.
- कहते हैं बजरंग बाण का दिन में दो बार सुबह-शाम पाठ करने से गंभीर और गंभीर रोग समाप्त होने लगते हैं.
- कहा जाता है अगर आप वास्तु दोष की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो बजरंग बाण का पाठ करें.
Bajrang Baan Lyrics FAQ
- बजरंग बाण का पाठ कब करना चाहिए?
बजरंग बाण का पाठ हमें किसी ख़ास उद्देश्य के लिए ही करना चाहिए। बजरंग बाण का पाठ करने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे उपयुक्त माना जाता है।
- क्या महिलाएं बजरंग बाण का पाठ कर सकती है?
नहीं, महिलाओं के लिए बजरंग बाण का पाठ करना उपयुक्त नहीं बताया गया है।
- बजरंग बाण पाठ करने से क्या होता है
किसी भी तरह की परेशानी हो या डर, बजरंगबली का यह बजरंग बाण हर समस्या का अचूक समाधान साबित होगा।
- बजरंग बाण किसने लिखा है?
श्री हनुमान बजरंग-बाण ।। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री हनुमान बजरंग बाण।
- बजरंग बाण के बोल हिंदी में कहां मिल सकते हैं?
आप यहां हिंदी में पूरा गीत पढ़ सकते हैं।
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