Wednesday, November 6, 2024
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Aigiri Nandini Lyrics | Mahishasura Mardini Stotra

Aigiri Nandini lyrics

‘ऐगिरी नंदिनी नंदिनी नंदीता मेधिनी’ एक बहुत लोकप्रिय दुर्गा देवी स्तोत्र है। महिषासुर मर्दिनी देवी दुर्गा का एक अवतार है जिसे राक्षस महिषासुर को मारने के लिए बनाया गया था। ‘ऐगिरी नंदिनी’ देवी महिषासुर मर्दिनी को संबोधित है। महिषासुर मर्दिनी देवी दुर्गा का उग्र रूप है जहाँ उन्हें 10 भुजाओं के साथ, शेर पर सवार और शस्त्र लिए हुए दिखाया गया है। ऐगिरि नंदिनी के गीत प्रारंभ में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा संस्कृत भाषा में लिखे गए थे। उन संस्कृत मंत्रों को बाद में राजलक्ष्मी संजय ने गाया था और संगीत संजय चंद्रशेखर ने बनाया था। गीतों को पढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप नीचे दिए गए हिंदी और अंग्रेजी में पोस्ट किए गए ऐगिरि नंदिनी गीतों का अनुसरण करें।

हिंदू पौराणिक शास्त्रों में करीब 33 करोड़ देवी-देवताओं का जिक्र है और इसमें करीब 9 करोड़ दुर्गा  हैं। आदि माँ शक्ति दुर्गा देवी कई रूपों और नामों से प्रसिद्ध हैं और हम नियमित रूप से उनकी पूजा करते हैं। देवी दुर्गा के नाम और रूपों के बारे में भी कई किंवदंतियां हैं। आदि माँ शक्ति दुर्गा देवी देवी पार्वती का अवतार हैं और इनके लगभग 108 नाम और रूप हैं। प्रत्येक रूप की एक विशेष दंत कथा है और उस कथा के अनुसार हम उस देवी की पूजा कर रहे हैं।

आज हम यहां देवी पार्वती के महिषासुरमर्दिनी अवतार के बारे में जानने जा रहे हैं और हम महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र लिखने जा रहे हैं जिसका पाठ देवी महिषासुरमर्दिनी की पूजा के लिए किया जा रहा है।

लोगों का मानना  है कि इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से देवी की हम पर सदा कृपा बनी रहती है। देवी पार्वती ने भक्तों की सुरक्षा के लिए इस अवतार का रूप धारण किया है और वह नियमित रूप से अपने भक्तों की प्रार्थनाओं का जवाब देती हैं। आइए जानते हैं देवी महिषासुरमर्दिनी के बारे में लोकप्रिय दंत कथा।

Aigiri Nandini Lyrics-Mahishasura Mardini Stotra Lyrics in Hindi

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते

गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १ ।

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । २ ।

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते

शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ३ ।

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते

रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।

निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ४ ।

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते

चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ५ ।

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे

त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ६ ।

अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते

समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।

शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ७ ।

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके

कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ८ ।

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते

कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।

धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ९ ।

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते

झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।

नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १० ।

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते

श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । ११ ।

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते

विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।

शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १२ ।

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते

त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १३ ।

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते

सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १४ ।

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते

मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।

निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १५ ।

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे

प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे ।

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १६ ।

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते

कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।

सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १७ ।

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे

अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १८ ।

कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्

भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । १९ ।

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते

किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । २० ।

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे

अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।

यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते । २१ ।

  Aigiri Nandini Lyrics in English

Mahishasura Mardini Stotram Lyrics

Aigiri Nandini nandhithamedhini

Viswa vinodhini nandanuthe,

Girivara vindhya sirodhi nivasini

Vishnu Vilasini Jishnu nuthe.

Bhagawathi hey sithi kanda kudumbini

Bhoori kudumbini bhoori kruthe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [1]

Suravara varshini durdara darshini

Durmukhamarshani harsha rathe,

Tribhuvana poshini Sankara thoshini

Kilbisisha moshini ghosha rathe.

Danuja niroshini Dithisutha roshini

Durmatha soshini Sindhu suthe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [2]

Ayi Jagadambha Madambha Kadambha

Vana priya vasini Hasarathe,

Shikhari siromani thunga Himalaya

Srunga nijalaya madhyagathe.

Madhu Madure Mdhukaitabha banjini

Kaitabha banjini rasa rathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [3]

Ayi satha kanda vikanditha runda

Vithunditha shunda Gajathipathe,

Ripu Gaja ganda Vidhaarana chanda

Paraakrama shunda mrugathipathe.

Nija bhuja danda nipaathitha khanda

Vipaathitha munda bhatathipathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [4]

Ayi rana durmathaShathru vadhothitha

Durdhara nirjjara shakthi bruthe,

Chathura vicharadureena maha shiva

Duthatkrutha pramadhipathe.

Duritha Dureeha dhurasaya durmathi

Dhanava dhutha kruithaanthamathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [5]

Ayi saranagatha vairi vadhuvara

Veera varaa bhaya dhayakare,

Tribhuvana masthaka soola virodhi

Sirodhi krithamala shoolakare.

Dimidmi thaamara dundubinadha mahaa

Mukharikruthatigmakare,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [6]

Ayi nija huum kruthimathra niraakrutha

Dhoomra vilochana Dhoomra sathe,

Samara vishoshitha sonitha bheeja

Samudhbhava sonitha bheejalathe.

Shiva shiva shumbha nishumbhamaha hava

Tarpitha bhootha pisacha rathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [7]

Dhanu ranushanga rana kshana sanga

Parisphuradanga natath katake,

Kanaka pishanga brushathka nishanga

Rasadbhata shrunga hatavatuke.

Kritha chaturanga bala kshithirangakadath

Bahuranga ratadhpatuke,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [8]

Suralalanaa tatatheyi tatheyi

Krtaabhinayodara nrtya-rate,

Krta kukuthah kukutho gaddadaadikataala

Kutuuhala gaanarate.

Dhudhukutta dhukkutta dhimdhimita

Dhvani dhiira mrdamga ninaadarate,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [9]

Jaya Jaya hey japya jayejaya shabda

Parastuti tatpara vishvanute,

Bhana Bhanabhinjimi bhingrutha noopura

Sinjitha mohitha bhootha pathe.

Nadintha nataartha nadi nada nayaka

Naditha natya sugaanarathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [10]

Ayi sumana sumana

Sumana sumanohara kanthiyuthe,

Sritha rajani rajani rajani

Rajaneekaravakthra vruthe.

Sunayana vibhramarabhrama

Bhramarabrahmaradhipadhe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [11]

Sahitha maha hava mallama hallika

Mallitharallaka mallarathe,

Virachithavallika pallika mallika billika

Bhillika varga Vruthe.

Sithakruthapulli samulla sitharuna

Thallaja pallava sallalithe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [12]

Avirala ganda kalatha mada medura

Matha matanga rajapathe,

Tribhuvana bhooshana bhootha kalanidhi

Roopa payonidhi raja suthe.

Ayi suda thijjana lalasa manasa

Mohana manmatha raja suthe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [13]

Kamala dalaamala komala kanthi

Kala kalithaamala bala lathe,

Sakala vilasa Kala nilayakrama

Keli chalathkala hamsa kule.

Alikula sankula kuvalaya mandala

Mauli miladh bhakulalikule,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [14]

Kara murali rava veejitha koojitha

Lajjitha kokila manjumathe,

Militha pulinda manohara kunchitha

Ranchitha shaila nikunjakathe.

Nija guna bhootha maha sabari gana

Sathguna sambrutha kelithale,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [15]

Kati thata peetha dukoola vichithra

Mayuka thiraskrutha Chandra ruche,

Pranatha suraasura mouli mani sphura

Damsula sannka Chandra ruche.

Jitha kanakachala maulipadorjitha

Nirbhara kunjara kumbhakuche,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [16]

Vijitha sahasra karaika sahasrakaraika

Sarakaraika nuthe,

Krutha sutha tharaka sangaratharaka

Sangaratharaka soonu suthe.

Suratha Samadhi samana Samadhi

Samadhi Samadhi sujatharathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [17]

Padakamalam karuna nilaye varivasyathi

yo anudhinam sa shive,

Ayi kamale kamala nilaye kamala nilaya

Sa katham na bhaveth.

Thava padameva param ithi

Anusheelayatho mama kim na shive,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [18]

Kanakala sathkala sindhu jalairanu

Sinjinuthe guna ranga bhuvam,

Bhajathi sa kim na Shachi kucha kumbha

Thati pari rambha sukhanubhavam.

Thava charanam saranam kara vani

Nataamaravaaninivasi shivam,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [19]

Thava Vimalendu kulam vadnedumalam

Sakalayananu kulayathe,

Kimu puruhootha pureendu mukhi

Sumukhibhee rasou vimukhi kriyathe.

Mama thu matham shivanama dhane

Bhavathi krupaya kimu na kriyathe,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [20]

Ayi mai deena dayalu thaya krupayaiva

Thvaya bhavthavyam ume,

Ayi jagatho janani kripayaa asi

thatha anumithasirathe.

Na yaduchitham atra bhavathvya rari kurutha

durutha pamapakarute,

Jaya Jaya He Mahishasura Mardini

Ramya Kapardini ShailaSuthe. [21]

महिषासुर मर्दिनी अवतार के बारे में जानकारी – महिषासुर मर्दिनी कहानी

महिषासुर नाम के राक्षस ने अपने जपताप के बल पर देवताओं को प्रसन्न किया और उनसे अजेयता का उपहार प्राप्त किया। इस वरदान के बल पर महिषासुर नाहक ऋषियों और देवताओं को परेशान करता था। अपनी शक्ति के बल से अभिभूत महिषासुर किसी चीज से नहीं डरता था। वह लगातार अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा था।

महिषासुर ने अपनी शक्ति के बल से नर्क के लोगों को स्वर्ग के लोगों के प्रवेश द्वार तक बढ़ा दिया। महिषासुर के इस कृत्य को देखकर स्वर्ग के देवता चकित रह गए। उन्हें नहीं पता था कि क्या करना है।

इसके अलावा, चूंकि महिषासुर में अजेय होने का उपहार था, इसलिए किसी ने भी उससे लड़ने की हिम्मत नहीं की। लोगों के बीच देवताओं की इस स्थिति को देखकर महिषासुर ने उन पर युद्ध की घोषणा की और स्वर्ग के लोगों से सूर्य, इंद्र, अग्नि, वायु आदि देवताओं को हराकर स्वर्ग के लोगों पर अपना राज्य स्थापित किया।

वे स्वर्ग के लोगों पर अपना आधिपत्य थोप कर देवताओं पर अत्याचार करने लगे। परिणामस्वरूप, ब्रह्मा विष्णु सहित स्वर्ग के सभी देवताओं ने महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी और स्वर्ग को बचाने के लिए देवी दुर्गा की पूजा करना शुरू कर दिया।

सभी देवताओं को एक साथ पूजा करते देख देवी दुर्गा प्रसन्न हो गईं। देवताओं ने मां दुर्गा को महिषासुर का वध करने के लिए कहा। इसके अलावा, सभी देवताओं ने मां दुर्गा को अपने शास्त्रों की पेशकश की। महिषासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा बाघ पर सवार हुई थीं।

उन्होंने महिषासुर नामक राक्षस से नौ दिनों तक भयंकर युद्ध किया। उनके विभिन्न रूप महिषासुर के साथ युद्ध में भी देखे गए थे। युद्ध के नए दिन, माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और अपना नाम महिषासुरमर्दिनी साबित किया।

महिषासुर की मृत्यु के बाद, देवी दुर्गा काली माता के अवतार में नृत्य करने लगीं। देवी दुर्गा ने देवी काली का रूप धारण करने के बाद जोर-जोर से हंसना और नाचना शुरू कर दिया।उनके रूप को देखकर सभी देवता भयभीत हो गए।

इससे भयभीत होकर देवता भगवान महादेव के पास गए। लेकिन चूंकि शिव ध्यान कर रहे थे, इसलिए उन्हें देवताओं की आवाज नहीं सुनाई दी। जब देवी के नृत्य से पृथ्वी काँप उठी तो वे जाग उठे।

भगवान शिव ने देवी को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि वह एक समाधि में हैं। अंत में भगवान शिव स्वयं मां कालिका के चरणों के सामने गिर पड़े। राक्षसों के गिरे हुए शरीर के कारण उन्होंने भगवान शिव को नहीं देखा।

लेकिन जैसे ही उनका पैर शिव के शरीर को छू गया, देवी पार्वती को अपनी पत्नी धर्म की याद आई। जब उनके पति ने उनके पैरों पर कदम रखा तो देवी पार्वती शर्मिंदा हो गईं और उनकी जीभ अचानक उनके मुंह से निकल गई। इस प्रकार देवी का प्रकोप शांत हो गया।

यहीं पर भगवान शिव की भक्ति देखी जा सकती है। वे हमें दिखाते हैं कि हम ब्रह्मांड की रक्षा के लिए कहां जा सकते हैं। इस प्रकार देवी दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी अवतार की कथा प्रचलित है और हम हर साल उस दिन के महत्व के रूप में नवरात्रि मनाते हैं।

देवी दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी भजन के माध्यम से हमने देवी के कई अवतारों के नामों का उल्लेख किया है और हमें इसे नियमित रूप से पढ़ना चाहिए।

मित्रों, देवी माता दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध स्थल पर एक भव्य मंदिर बनाया गया है और यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

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