Friday, June 27, 2025
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श्री सूर्य अष्टकम ( सूर्याष्टकम् ) अर्थ सहित | Shri Surya Ashtakam in Hindi

श्री सूर्य अष्टकम ( सूर्याष्टकम् ) अर्थ सहित | Shri Surya Ashtakam in Hindi -सूर्य अष्टकम या सूर्याष्टकम सांबा पुराण से है, जो एक वैदिक पाठ है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। इसमें भगवान सूर्य के विभिन्न गुणों की स्तुति करने वाले 8 सूक्त हैं। स्तोत्र के फलश्रुति भाग में कहा गया है कि इस स्तोत्र का प्रतिदिन जप करने से किसी भी ग्रहपीड़ा या अन्य ग्रहों के पापों से छुटकारा मिल सकता है, गरीब धनवान हो सकता है, और निःसंतान संतान प्राप्त कर सकता है। यह कहा जाता है कि जो सूर्य को समर्पित दिन में महिलाओं, तैलीय भोजन, शराब और मांस का त्याग करता है, वह कभी भी बीमारी, दु: ख या दरिद्रता से प्रभावित नहीं होगा, और अंत में सूर्यलोक तक पहुंच जाएगा या सूर्य के राज्य में पहुंच जाएगा। . यहाँ सूर्य अष्टकम अंग्रेजी बोल में प्राप्त करें और अत्यंत भक्ति के साथ इसका जप करें।

श्री सूर्य अष्टकम ( सूर्याष्टकम् ) अर्थ सहित | Shri Surya Ashtakam in Hindi

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।

 दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥
सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥
लोहितं  रथमारूढं  सर्वलोक पितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥
त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।
महापापहरं  देवं तं  सूर्यं  प्रणमाम्यहम् ॥4॥
बृहितं तेजः  पुञ्ज च वायु आकाशमेव च ।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥
तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥9॥
अमिषं  मधुपानं च  यः करोति रवेर्दिने ।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥10॥
स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥11॥

Surya Ashtakam with Hindi Meaning

अर्थ ( १ )– हे आदिदेव भास्कर! आपको प्रणाम है, आप मुझ पर प्रसन्न हों, हे दिवाकर! आपको नमस्कार है, हे प्रभाकर! आपको प्रणाम है।

अर्थ ( २ )– सात घोड़ों वाले रथ पर आरुढ़, हाथ में श्वेत कमल धारण किये हुए, प्रचण्ड तेजस्वी कश्यपकुमार सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।

अर्थ (३ )– लोहितवर्ण रथारुढ़ सर्वलोकपितामह महापापहारी सूर्य देव को मैं प्रणाम करता हूँ।

अर्थ (४ ) – जो त्रिगुणमय ब्रह्मा, विष्णु और शिवरूप हैं, उन महापापहारी महान वीर सूर्यदेव को मैं नमस्कार करता हूँ।

अर्थ ( ५ ) – जो बढ़े हुए तेज के पुंज हैं और वायु तथा आकाशस्वरुप हैं, उन समस्त लोकों के अधिपति सूर्य को मैं प्रणाम करता हूँ।

अर्थ ( ६ )– जो बन्धूक (दुपहरिया) के पुष्प समान रक्तवर्ण और हार तथा कुण्डलों से विभूषित हैं, उन एक चक्रधारी सूर्यदेव को मैं प्रणाम करता हूँ।

अर्थ ( ७ )– महान तेज के प्रकाशक, जगत के कर्ता, महापापहारी उन सूर्य भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।

अर्थ ( ८ )– उन सूर्यदेव को, जो जगत के नायक हैं, ज्ञान, विज्ञान तथा मोक्ष को भी देते हैं, साथ ही जो बड़े-बड़े पापों को भी हर लेते हैं, मैं प्रणाम करता हूँ।

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